हरिद्वार। अर्द्धकुंभ मेले के आखिरी स्नान (शुक्रवार) पर कुमाऊं और गढ़वाल मंडल से बड़ी संख्या में यात्री देव डोलियों के साथ हरिद्वार पहुंचे और स्नान किया। लोक वाद्य यंत्रों की गूंज के साथ तड़के से शुरू हुए देव डोलियों के स्नान के दौरान पहाड़ से पहुंचे श्रद्धालुओं के साथ स्थानीय लोगों व अधिकारियों ने भी गंगा में डुबकी लगाई और पहाड़ की खुशहाली के लिए दुआ मांगी।
बृहस्पतिवार देर रात तक विभन्नि क्षेत्रों से देव डोलियों और निशानों के
साथ श्रद्धालुओं का हरिद्वार आगमन हुआ। चिन्याली सौड़ के जगड़गांव से
सिद्धपीठ बरमनाथ, दुर्गा माता की डोली, नागराजा, जीतू बगड़वाल की डोली
हूणेश्वर मेला मंदिर समिति की ओर से लाई गई थी। चकराता के टगरी खतसेली से
महासू देवता और चाल्दा महाराज की डोली लेकर भी बड़ी संख्या में भक्त
पहुंचे।
प्रतापनगर (टिहरी) के बागी भरपूर से भैरव देवता, बगियाल देेवता और अगुनाथ देवता की डोलियां देर शाम हरिद्वार पहुंची। पणसूत (प्रतापनगर) से भी मां राजराजेश्वरी की डोली लेकर रूपराम उनियाल, लक्ष्मी उनियाल, हर्षवर्धन उनियाल सहित कई लोग पहुंचे। चमोली जिले के चोपता चौंरी से सिद्धपीठ राजराजेश्वरी गिरिजा भवानी की डोली और भूम्याल देवता का निशान लेकर चौंरी की प्रधान ऊषा रावत, अवतार सिंह, ठाकुर सिंह नेगी, भास्करानंद सती, सुरेंद्र सिंह डोली लेकर पहुंचे। मुंबई से मां नंदादेवी की डोली लेकर मूल रूप से रुद्रप्रयाग निवासी बलदेव सिंह राणा अन्य साथियों के साथ पहुंचे। इस दौरान बलदेव सिंह ने बताया कि पर्वतीय नाट्य पंच मुंबई की ओर से मां नंदा देवी की डोली लाई गई है। इस दौरान राजेंद्र भट्ट, दिनेश, नयन सिंह , गजेंद्र रावत आदि मौजूद थे।
गूलर दोगी (टिहरी) के बांसकाटल से झालीमाली देवी की डोली लेकर बैशाख सिंह, कलम सिंह, सुल्तान, बुंदा देवी सहित कई ग्रामीण पहुंचे। चमोली से रूद्रनाथ के डमक कलगोड (जोशीमठ) की देव डोली के साथ बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी हरिद्वार पहुंचे। देव डोली के संयोजक सुनील कोटियाल ने बताया कि अर्द्धकुंभ मेला प्रशासन ने देव डोलियों के साथ पहुंचे यात्रियों के लिए अच्छे इंतजाम किए थे। दोपहर में पंतद्वीप मैदान से श्रद्धालु अपनी-अपनी डोलियों के साथ गंतव्यों के लिए रवाना हुए।
बारिश के लिए इंद्रदेवता से प्रार्थना
चमोली के हाटबंड पट्टी से इंद्र, वरुण कलश और लक्ष्मी नारायण की ध्वजा लेकर पहुंचे सुनील डिमरी ने बताया कि अतिवृष्टि रोकने और सूखे से निजात दिलाने के लिए इंद्र देवता से प्रार्थना की गई है।
देवी को न मानने वाले का होता है अनिष्ट
चौंरी(चमोली) की प्रधान ऊषा रावत ने बताया कि क्षेत्र में देवी की सामूहिक रूप से समय-समय पर पूजा की जाती है। लेकिन जो लोग देवी को नहीं मानते उनका अनिष्ठ होता है।
प्रतापनगर (टिहरी) के बागी भरपूर से भैरव देवता, बगियाल देेवता और अगुनाथ देवता की डोलियां देर शाम हरिद्वार पहुंची। पणसूत (प्रतापनगर) से भी मां राजराजेश्वरी की डोली लेकर रूपराम उनियाल, लक्ष्मी उनियाल, हर्षवर्धन उनियाल सहित कई लोग पहुंचे। चमोली जिले के चोपता चौंरी से सिद्धपीठ राजराजेश्वरी गिरिजा भवानी की डोली और भूम्याल देवता का निशान लेकर चौंरी की प्रधान ऊषा रावत, अवतार सिंह, ठाकुर सिंह नेगी, भास्करानंद सती, सुरेंद्र सिंह डोली लेकर पहुंचे। मुंबई से मां नंदादेवी की डोली लेकर मूल रूप से रुद्रप्रयाग निवासी बलदेव सिंह राणा अन्य साथियों के साथ पहुंचे। इस दौरान बलदेव सिंह ने बताया कि पर्वतीय नाट्य पंच मुंबई की ओर से मां नंदा देवी की डोली लाई गई है। इस दौरान राजेंद्र भट्ट, दिनेश, नयन सिंह , गजेंद्र रावत आदि मौजूद थे।
गूलर दोगी (टिहरी) के बांसकाटल से झालीमाली देवी की डोली लेकर बैशाख सिंह, कलम सिंह, सुल्तान, बुंदा देवी सहित कई ग्रामीण पहुंचे। चमोली से रूद्रनाथ के डमक कलगोड (जोशीमठ) की देव डोली के साथ बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी हरिद्वार पहुंचे। देव डोली के संयोजक सुनील कोटियाल ने बताया कि अर्द्धकुंभ मेला प्रशासन ने देव डोलियों के साथ पहुंचे यात्रियों के लिए अच्छे इंतजाम किए थे। दोपहर में पंतद्वीप मैदान से श्रद्धालु अपनी-अपनी डोलियों के साथ गंतव्यों के लिए रवाना हुए।
बारिश के लिए इंद्रदेवता से प्रार्थना
चमोली के हाटबंड पट्टी से इंद्र, वरुण कलश और लक्ष्मी नारायण की ध्वजा लेकर पहुंचे सुनील डिमरी ने बताया कि अतिवृष्टि रोकने और सूखे से निजात दिलाने के लिए इंद्र देवता से प्रार्थना की गई है।
देवी को न मानने वाले का होता है अनिष्ट
चौंरी(चमोली) की प्रधान ऊषा रावत ने बताया कि क्षेत्र में देवी की सामूहिक रूप से समय-समय पर पूजा की जाती है। लेकिन जो लोग देवी को नहीं मानते उनका अनिष्ठ होता है।
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